‘WHO’ ने भारत के किशोरो को दी चेतावनी!

भूमिका भास्कर। वर्तमान की तुलना में पहले किशोर शारीरिक गतिविधियों या कहें आऊटडोर गेम्स में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। आज स्थिति कुछ और है। आज किशोर पबजी जैसे मोबाइल गेम्स में ज्यादा व्यस्त रहने लगाे हैं। आउटडोर गेम्स जैसे आज के बच्चों की दिनचर्या से बाहर ही हो गए हैं।

हाल में विश्व स्वास्थ संगठन ने 146 देशों के स्कूल जाने वाले 11 से 17 की उम्र के किशोरों पर एक सर्वे जारी किया। सर्वे 2001-2016 का विश्लेषण है जो चौंकाने वाला है। पढ़िए ये रिपोर्ट।

द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ (The Lancet Child & Adolescent Health journal) जर्नल में प्रकाशित सर्वे बताता है कि, 85% लड़कियां और 78% लड़के प्रतिदिन कम से कम एक घंटे भी शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के वर्तमान मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं। इस श्रेणी के बच्चों में लड़कियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है।

भारत के किशोर भी कम सक्रिय-

शारीरिक गतिविधियों में कम भागीदारी लेने वाले देशों की सूची में भारत 73.9% के साथ 8वें स्थान पर है। इस सूची में भारत के अलावा बांग्लादेश और अमेरिका का नाम भी आता है। रिपोर्ट कहती है कि शारीरिक गतिविधियों से दूर रहने वाले बच्चों को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगेंगी।

शारीरिक निष्क्रियता का दुष्प्रभाव स्वास्थ पर होगा-

यह सर्वे Dr Regina Guthold ने किया है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (world Health organistion) की सदस्य हैं।

किशोर अवस्था में शारीरिक गतिविधियों से दूर रहने का दुष्प्रभाव बढ़ती उम्र के साथ दिखने लगता है। दुनियाभर में बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय करने के लिए जल्द ही कोई नई पॉलिसी लाना बेहद जरूरी है।

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'WHO' ने भारत के किशारों को दी चेतावनी!

किशोर अवस्था में शारीरिक गतिविधियों से दूर रहने का दुष्प्रभाव बढ़ती उम्र के साथ दिखने लगता है। दुनियाभर में बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय करने के लिए जल्द ही कोई नई पॉलिसी लाना बेहद जरूरी है।

Dr. Regina Guthold ( रिसर्चर)

डॉ. रेजिना ने बताया कि ‘इस सर्वे से पता चला कि 11 से 17 साल के किशोरों की एक बड़ी आबादी खेलकूद, साइक्लिंग आदि जैसी शारीरिक गतिविधियों से दूर रहते हैं। अगर यही हाल रहा तो सभी देशों का 15% तक अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों को घटाने का मकसद पूरा नहीं हो पाएगा।’

साल 2018 में वर्ल्ड हेल्थ असम्बेली में सभी देशों ने 2030 तक शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया था।

लड़कों में हुआ सुधार, लड़कियों की स्थिति चिंताजनक-

वैश्विक तौर पर देखें तो 2001 से 2016 के बीच शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले लड़कों की संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है, जबकि लड़कियों की स्थिति में सुधार नहीं है। भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के सर्वे में पाया गया कि, घरेलू कामों के चक्कर में यहां कि लड़कियां खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो पातीं।

इस सर्वे में सुझाव भी दिया गया कि, हम कैसे बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में सक्रिय कर सकते हैं-

  1. खेलकूद संबंधी कोई पॉलिसी शुरू की जानी चाहिए जिसमें बच्चे हिस्सा ले सकें।
  2. हर क्षेत्रों में बच्चों को अवसर दिया जाए ताकि, वे भाग लेकर एक्टिव हो सकें।
  3. गाँवो और शहरों में नेताओं को जनता में खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों के प्रति जागरूक करने के लिए समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।

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