देश का अन्नदाता ठंड में कर रहा आंदोलन नव वर्ष खुशियां मना रहे भारतवासी, समझ से परे – धर्मेंद्र शाह ( अभा.ओ. अध्यक्ष)

भूमिका भास्कर संवाददाता सिंगरौली – देशभर में नववर्ष की शुभकामनाएं एवं खुशियां मनाई जा रही हैं लोग एक दूसरे को बधाइयां दे रहे हैं ,लेकिन उन किसानों के बारे में कोई बात नहीं कर रहा है, जो किसान देश का अन्नदाता है, आखिर क्यों केंद्र सरकार किसान की मांग को दरकिनार करना चाहता है, सरकार जबरदस्ती किसानों को फायदा क्यों देना चाहती है जबकि इस बिल से किसान को कोई फायदा नहीं – अभा.ओ. अध्यक्ष धर्मेंद्र शाह

इस बिल से, ऐसा भी नहीं है कि जितने किसान वहां आंदोलन कर रहे हैं सब अनपढ़ हैं उन्हें कानून का ज्ञान नहीं है, इस बिल को लागू करके केंद्र सरकार को क्या फायदा होने वाला है समझ से परे है,

भारत कृषि प्रधान देश है, तो कृषक की बात को सर्वमान्य रखना चाहिए।, मगर यहां केंद्र सरकार तो, कुछ अलग ही कर रही है,

क्या किसान की जीवन का कोई मोल नहीं है , जब किसान की बात ही नहीं सुनी जा रही है तो, हम भारत को कृषि प्रधान देश कैसे कह सकते हैं अगर किसान बिल को मंजूरी नहीं दे रहा है तो इस बिल को जबरजस्ती केंद्र सरकार क्यों लागू करना चाहती है, सरकार तो यही चाहती है, ना किसान खुश रहे, उनकी खुशी व उनके समर्थन में इस बिल को क्यों नहीं बंद किया जा सकता,

इस बिल के बारे में बार-बार किसानों को क्यों समझाया जा रहा है जबकि इस बिल के बारे में किसान समझ चुके हैं कि उन्हें इस बिल से कोई फायदा होने वाला नहीं है,यहां तक कि देश के बड़े-बड़े संगठन व पार्टी भी इस बिल के विरोध में खड़े हैं किसानों का समर्थन दे रहे हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री भी इस बिल के विरोध में किसानों का लगातार समर्थन कर रहे हैं।

केंद्र सरकार एक तरफ किसानों की सहायता के लिए पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खातों में पैसा डाला जा रहा है दूसरी तरफ किसान को मरने पर मजबूर किया जा रहा है आखिर क्यों?

जिस बिल की मांग के लिए किसी ने आंदोलन नहीं किया इस बिल को जबरदस्ती लागू किया जा रहा है और उसी बिल को बंद करने के लिए किसान अपनी जिंदगी से खेल रहे हैं फिर भी उसे बंद नहीं किया जा रहा आखिरकार क्यों?

केंद्र सरकार से अपील -इन किसानों से ना उलझो साहब, एक वक्त की रोटी के लिए लाले पड़ जाएंगे, किसान की हाय को मत लीजिए किसान के समर्थन में फैसला कीजिए।

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