बक्स्वाहा जंगल बचाने हेतु समाजसेवी डॉ धरणेन्द्र जैन की याचिका पर एन जी टी ने जारी किये नोटिस।
आशीष जैन सागर/7354469594
भूमिका भास्कर ब्यूरो छतरपुर / सागर – मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बकस्वाहा तहसील में बंदर प्रोजेक्ट के तहत उत्खनित होने बाले हीरों के उत्खनन प्रोजेक्ट एवं अन्य गैर वनीय गतिविधियों पर रोक लगाने हेतु एक याचिका राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन जी टी) में डॉ धरणेन्द्र जैन द्वारा अधिवक्ता यादवेंद्र यादव के माध्यम से लगाई थी जिस पर माननीय प्राधिकरण ने अनावेदकगणों को नोटिस जारी किये है।
215876 बृक्ष काटे जाने प्रस्तावित ।
याचिका में माननीय न्याधिकारण के समक्ष बताया गया है कि हीरे उत्खनन हेतु एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज़ लि. को लगभग 364 है. भूमि लीज पर दी गयी है और इस प्रोजेक्ट के लिये रिपोर्ट के अनुसार 215876 बृक्ष काटे जाने प्रस्तावित है साथ ही उक्त माइनिंग गतिविधियों के संचालन हेतु 16580 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पानी की आवश्यकता होगी जबकि यह क्षेत्र पहले से ही जल अभाव क्षेत्र है।न्याधिकारण के समक्ष यह बात भी रखी गयी कि उक्त हीरा उत्खनन चालू होने,पेड़ कटने से पारिस्थिकीय तंत्र असंतुलित होगा,पर्यावरण को क्षति होगी,ग्रामीण अर्थव्यवस्था खत्म होगी,पानी की समस्या उत्पन्न होगी,वन्य जीव,जन्तु,पशु-पक्षी बेघर होंगे या मर जायेंगे,वनोपज भी खत्म होगी और आस पास निवासरत लोगों को आर्थिक,पर्यावरण संबंधी अपूरणीय क्षति होगी।
याचिकाकर्ता डॉ धरणेन्द्र जैन ने बताया कि याचिका लगाने के मैरे चार उद्देश्य है।
प्रथम जीवन देने बाली ऑक्सीजन की फैक्ट्री बृक्षों को हत्या होने से बचाना क्योंकि हम ऑक्सीजन के बिना जीवित नही रह सकते और बृक्ष हमें निःशुल्क ताजी ऑक्सीजन देते है जबकि हीरे जीवन दायक नहीं है न ही जीवन की मूल भूत आवश्यकताओं के लिये आवश्यक है।
दूसरा उद्देश्य है कि मूक पशु,पक्षी,कीट,पतंगों के प्राणों की रक्षा करना उन्हें बेघर होने से बचाना, पारिस्थिकीय संतुलन कायम रखना।उक्त जंगल मे चीतल,सांभर,हिरण,मोर,चिड़िया,खरगोश,रीछ,नीलगाय,बंदर,तितली,रेप्टाइल सहित सैकड़ों जीव जंतुओं की प्रजातियां निवासरत है यदि जंगल काटे जाते या हीरो का उत्खनन होता तो कुछ जीव जंतुओं को निर्वासित होना पड़ेगा और कुछ जीव जंतुओं को दम तोड़ना होगा इसलिये इनकी रक्षा करना हमारा धर्म है।
तीसरा उद्देश्य है उक्त प्रोजेक्ट से प्रभावित जंगल पर आश्रित लोगो की आर्थिक व्यवस्था या जीवकोपार्जन हेतु वनोपज तथा वन संसाधनों की रक्षा करना।उक्त हीरा उत्खनन हेतु कटाई के लिये प्रस्तावित जंगल में वहाँ निवासरत लोगों को आर्थिक लाभ प्रदान करने बाले बृक्ष महुआ,खैर,तेंदू (तेंदू पत्ता),अचार (चिरौंजी निकलती),धावा, गुली,मेडिसन प्लांट,इमारती लकड़ी के सागौन, साल,सरै सहित अनेक प्रकार के बृक्ष उक्त जंगल में मौजूद है जो वहाँ निवासरत लोगों के जीवकोपार्जन के लिये आवश्यक है तथा सरकार के राजस्व को भी बढ़ाते है।जंगल से प्राप्त चिरौंजी लगभग 1000 रुपये,महुआ 50 रुपये किलो बिकता है साथ मे तेंदू पत्ता सहित अनेक बृक्ष,लताये है जो कीमती उत्पाद देते है जिनसे यहाँ रहने बाले लोगों को आर्थिक लाभ होता है साथ मे सागौन, साल सहित कीमती लकड़ी के बृक्ष भी है जिनसे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है।इस प्रकार यदि देखा जाय तो अगले 50 वर्षों में जो राजस्व या लाभ उत्खनित हीरे देंगे उससे अधिक लाभ बृक्षों से मिल सकता है।
चतुर्थ उद्देश्य है पारिस्थिकीय संतुलन,पर्यावरण,पुरातात्विक स्थलों की रक्षा करना।हीरा उत्खनन हेतु उक्त प्रस्तावित जंगल या क्षेत्र जैव-विविधता,पुरातात्विक स्थलों,पर्यवारण के नज़रिये से संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र है । उक्त क्षेत्र में सघन वन,जीव जन्तुओ की क्रीड़ा स्थली उनके निवास एवं आदि मानव के सांस्कृतिक एवं जीवन शैली के जीवित साक्ष्य मौजूद है साथ मे पास में ही अर्जुन कुंड जैसे जीवित एवं प्राकृतिक धरोहर स्थल भी मौजूद है।यदि उक्त प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जाता है तो निश्चित ही यह सिर्फ 364 है. में सीमित नहीं रहेगा और सैकड़ों मीटर गहराई में ड्रिल,ब्लास्ट या अन्य माध्यम से खुदाई करेगा जिससे आस पास का अन्य क्षेत्र भी प्रभावित होगा,जैविक एवं पारिस्थिकीय संतुलन बिगड़ेगा,पुरातात्विक स्थल व साक्ष्य नष्ट होंगे,वन्य जीव जंतुओं के घर उजड़ेंगे इस प्रकार हम मानव सभ्यता तथा जीव जगत के एक हिस्से को काल कल्वित कर देंगे।इसकी रक्षा करना हमारा धर्म है और उक्त पवित्र उद्देश्यों की पूर्ति हेतु न्यायिक स्तर पर लड़ाई जारी है साथ मे आगाज़ एक पहल नाम की संस्था के साथ जनता को वास्तविकता बताने हेतु विभिन्न माध्यम से जागरण अभियान भी चलाया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के एडव्होकेट यादवेंद्र यादव ने बताया कि याचिका के द्वारा अधिकरण के समक्ष प्रार्थना की गयी है कि हीरे उत्खनन हेतु प्रस्तावित क्षेत्र में समस्त गैर वनीय गतिविधियों पर रोक लगाई जाये तथा प्रस्तावित बंदर माइनिंग प्रोजेक्ट पर भी रोक लगायी जाय ताकि जैव विविधता,पारिस्थिकीय संतुलन को बचाया जा सके एवं प्रस्तावित वनों की कटाई को भी स्थायी रूप से रोका जा सके।उन्होंने बताया कि कुल छह अनावेदकगणों को अधिकरण द्वारा नोटिस जारी करने के आदेश हुए है और अगली सुनवाई 27/8/2021 निर्धारित हुई है।