नौगाँव एसडीएम विनय द्विवेदी पर लगे आरोप निराधार , संपूर्ण राजस्व प्रक्रियाओं को पूर्ण करके हुआ था नामांतरण ।

आशीष जैन सागर – छतरपुर जिले में प्रशासनिक अधिकारियों और भू माफियाओं की नूरा कुश्ती अब जोरों पर है एक और जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा भू माफियाओं के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा लगातार भू माफियाओं के कब्जों को हटाया जा रहा है इसी से परेशान होकर भूमाफिया अब अधिकारियों के खिलाफ साजिश कर रहे हैं पिछले दिनों छतरपुर तहसीलदार संजय शर्मा के बाद अब भू माफिया के निशाने पर एसडीएम विनय द्विवेदी एवं एसडीएम डीपी द्विवेदी है भूमाफियाओं के निशाने पर आए एसडीएम विनय द्विवेदी के अब पुराने राजस्व केसों के बारे में झूठी और निराधार खबरें मीडिया में प्रकाशित की जा रही है एसडीएम विनय द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि जब वह छतरपुर तहसीलदार थे तब उन्होंने एक नामांतरण किया था विक्रय पत्र को आधार बनाकर किए गए विक्रय पत्र क्रमांक 6979 दिनांक 19-02-2015 के आधार पर ग्राम मोरहा तहसील छतरपुर के खसरा क्रमांक 16/2/5 में से रखवा 0.041 हेक्टेयर पर विक्रेता प्रशांत शुक्ला के बजाय क्रेता डीपी द्विवेदी का नाम वर्ष 1958-59 की नकल को देखकर जिसमें यह भूमि रंजीता बगैरह के नाम दर्ज थी नामांतरण पंजी क्रमांक 133 वर्ष 2014-15 आदेश दिनांक 16-3-2015 में पारित आदेश द्वारा नामांतरण स्वीकृत किया गया था विक्रेता द्वारा विक्रीत भूमि पूर्व में ही डायवर्सन करा दी गई थी इस प्रकार भूमि डायवर्सन सुदा थी और भूघटक भी निर्धारित था उक्त भूमि सरकारी नही हैं उक्त नामांतरण के अमल में कंप्यूटर शाखा के द्वारा विक्रेता प्रशांत शुक्ला और क्रेता डीपी द्विवेदी का संयुक्त खाता बना दिया था उसी कृषि वर्ष में दोनों खाताधारकों ने तात्कालिक तहसीलदार विनय द्विवेदी के समक्ष बटवारा के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जिससे दोनों खाताधारकों को नया बटांक मिल गया

सॉफ्टवेयर की कमी को अधिकारी गलती बनाकर कर दिया प्रदर्शित

बदलती कंप्यूटराइज युग में सॉफ्टवेयर की कमी को अधिकारियों की गलती बताकर अब प्रदर्शित किया जा रहा है दरअसल राजस्व रिकॉर्ड के सॉफ्टवेयर में नामांतरण आदेश नहीं दिख रहा है इसी को आधार बनाकर शिकायतकर्ता के द्वारा शिकायत की गई है कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में ऐसा होता है कि बटवारा में नया बटांक के बनने के बाद केवल बटवारा आदेश ही दिखता है एवं मीडिया द्वारा प्रकाशित समाचार में जो आदेश क्रमांक उल्लेख किए गए हैं वही बटवारा आदेश है शिकायतकर्ता को लग रहा है कि बिना विक्रय पत्र तथा मेरा नाम अंतर आदेश के गलत तरीके से खाता में नाम शामिल करके बंटवारा किया गया है इस प्रकार शिकायत पूर्णत निराधार है और भू माफियाओं के दबाव में आकर राजस्व अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप लगातार कार्यवाही कर रहे हैं राजस्व अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है पिछले दिनों छतरपुर तहसीलदार संजय शर्मा के खिलाफ एक बड़े होटल में मीटिंग करके भू माफियाओं ने तहसीलदार के खिलाफ बिगुल फूंका था लेकिन उसमें कामयाब ना हो पाने से अब एसडीएम पर दबाव बनाने के लिए इस प्रकार के झूठे और निराधार समाचार मीडिया के माध्यम से पत्रकारों को गुमराह करके प्रकाशित करवाए जा रहे हैं कहीं ना कहीं इन समाचारों से अधिकारियों की छवि को खराब करने में भूमाफिया जुटे हुए हैं।

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