शासन ने किस नेता की याचिका पर नहीं दिया जवाब ? जाने
लागत से कई गुना टोल वसूली पर सुप्रीम कोर्ट में शासन ने नहीं दिया जवाब,दादा ने दायर की थी याचिका
अब शासन के जवाब के बिना होगी सुनवाई
रतलाम। शिरीष सकलेचा
लेबड-जावरा तथा जावरा-नयागांव टोल रोड पर लागत से कई गुना अधिक वसूली को लेकर दाखिल पिटिशन पर माननीय सुप्रीम कोर्ट में शासन ने तय अवधि में जवाब नहीं दिया । व्यापम विह्सलब्लोअर तथा पूर्व विधायक पारस सकलेचा की पिटीशन पर माननीय उच्चतम न्यायालय में 24 अप्रैल को शासन को 7 दिन में जवाब देने का आदेश देते हुये , नियत अवधि में जवाब नहीं आने पर प्रकरण पर नियमानुसार सुनवाई प्रारंभ करने का अल्टीमेटम दिया था ।
लेबड-जावरा तथा जावरा-नयागांव फोरलेन पर टोल वसूली 2009 से प्रारंभ होकर नवंबर 2033 तक चलेगी । वर्ष 2021 में लेबड-जावरा पर ₹145 करोड़ तथा जावरा-नयागांव पर ₹200 करोड़ तथा नवंबर 2022 से जनवरी 2023 तक तीन माह मे क्रमशः 45 करोड़ और53 करोड़ टोल वसूला गया । जनवरी 2023 तक जावरा-नयागांव पर लागत 425 करोड़ के एवज में 1865 करोड़ तथा लेबड-जावरा पर 1655 करोड याने लागत का क्रमशः 438% तथा 281% टोल वसूला जा चुका है । तथा टोल राशि में प्रतिवर्ष 15% से 20% की वृद्धि हो रही है । दोनों टोल रोड पर मिलाकर वर्तमान में प्रतिदिन ₹1.2 करोड़ से 1.3 करोड़ टोल वसूला जा रहा है ।
सुप्रीम कोर्ट में माननीय मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड साहब की बेंच ने 24 नवंबर 2022 को इस विषय पर वरिष्ठ अभिभाषक देवदत्त कामत, एल जो जोसेफ तथा सर्वम रिदम खरे के तर्क सुनने के बाद शासन नोटिस जारी किया था । तीन अवसर के बाद भी शासन की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया ।
सकलेचा ने कहा कि इस मामले में जवाब को टालने की जगह शासन को माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना चाहिए ।