शिक्षा बचाओ बचपन बचाओ यात्रा : छतरपुर गांधी आश्रम में हुआ आगमन।
मुकेश कुमार मिश्रा छतरपुर – शिक्षा बचाओ मंच नेप्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया कि बच्चों का भविष्य खतरे में है स्कूल बंदी ही करोना का इलाज नही है विगत 1 वर्ष से करो ना काल के चलते हमारा शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हुआ है उसके परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे जहां एक और बच्चों का बचपन शिक्षा अनुशासन निरंतरता सामाजिक समूह भावना तथा सामाजिक मूल्यों का पतन हुआ है इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब शोषित एवं वंचित समूह के बच्चे हैं जिनके अभिभावक उन्हें चाह कर भी नहीं करा पा रहे हैं और ना ही बच्चे चाह कर भी पढ़ पा रहे हैं हमारे प्रदेश में लगभग 7 लाख बच्चे जो ग्रामीण क्षेत्रों शहरी क्षेत्र के गरीब बच्चे तथा शासन की स्कूलों में पढ़ रहे गरीबी रेखा के नीचे कि श्रेणी के बच्चे प्रमुख हैं सर्वाधिक प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे हैं जहां संचार का आधारभूत ढांचा नहीं है एवं गरीबी है इसका मुख्य कारण विद्यालयों का बंद होना है तथा संचार साधनों जैसे टीवी मोबाइल एवं इंटरनेट के भरोसे पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था का होना फल स्वरुप बच्चे विद्यालय के माहौल से वंचित हो गए हैं जहां उनका मानसिक शारीरिक बौद्धिक विकास सुनिश्चित होता था बच्चों का एक नया वर्ग उभर कर सामने आ रहा है जो इंटरनेट के अंधे गलियारों एवं भूल भुलैया में नई दुनिया को पाकर कई मानसिक विकृतियों का शिकार हो रहा है तथा मार्गदर्शन के अभाव में सही गलत में अंतर नहीं कर पा रहा ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के लिए घातक भी सिद्ध हो रही है लिंक खोलते ही कई प्रकार के लिंक ओपन हो जाती हैं जिससे बच्चों का दिमाग इधर-उधर भटक जाता प्रदेश में जब हर निर्णय के लिए कलेक्टर को निर्देशित किया गया है तो स्कूलों के लिए भी कलेक्टर को निर्णय के लिए आदेश देनी चाहिए जहां करो ना काम है वहां तो स्कूल खुल सकते हैं बच्चों को शिक्षा मिल सकती है 1 साल से बच्चे घर में ही हैं कहीं ना कहीं बच्चों के शिक्षा का स्तर भी कम होता जा रहा है स्वास्थ्य एवं शिक्षा समाज की मूलभूत आवश्यकता है शिक्षा को उचित वरीयता देते हुए स्कूल स्टाफ का भी प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो एवं स्कूल स्टाफ का निमित्त करोना टेस्ट किया जाए ताकि बच्चे भयमुक्त वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें विद्यालयों को सावधानियों के संबंध में नियमित प्रशिक्षण दिया जाए शिक्षा बचाओ यात्रा का मूल उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों से बातचीत एवं मंथन कर ऐसी संभावनाओं को तलाशना है जहां हम बच्चों का बचपन वापस लौट सके और उनकी शैक्षणिक हत्या होने से रोका जाए मध्य प्रदेश शिक्षा बचाओ मंच द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं शिक्षाविदों के साथ प्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से 3 अप्रैल से आरंभ होकर प्रदेश के लगभग 34 जिलों में होती हुई प्रदेश की नीति निर्धारक नगरी भोपाल से गुजरेगी समाज के सभी वर्गों विभिन्न अभिभावक संगठनों छात्र हितैषी संगठनों सामाजिक संगठनों से इस यात्रा में सहभागिता एवं वैचारिक समर्थन की अपेक्षा शिक्षा बचाओ मंच मध्यप्रदेश करता हा आज के इस कार्यक्रम में संयोजक मोहन नागवानी सह संयोजक जुगल मिश्रा प्रमोद तिवारी विनय सिंह मनोज दुबे उपस्थित रहे