फील्ड में काम करने वाले गैर अधिमान्य पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जाए।

प्राशु जैन जरुआखेड़ा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मा.शिवराज सिंह चौहान जी ने प्रदेश के अधिमान्य पत्रकारों को कोविड-19 फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया है। हम उनका स्वागत करते हैं।
प्रदेश में बहुतायत पत्रकार जो फील्ड में काम कर रहे हैं वह अधिमान्य नहीं है कहने में और सुनने में भले बहुत अच्छा ना लगे किंतु सच्चाई यह है कि पूजी पतियों ने अखबार और चैनलों का मालिकाना हक अपने कब्जे में कर रखा है ऐसी परिस्थिति में किसी पत्रकार की अधिमान्यता उनकी कृपा पर निर्भर है और ऐसे लोग किसी पत्रकार की बजाए अपने परिजन रिश्तेदार व अन्य चहेतों को अधिमान्यता दिलाने हेतु औपचारिक कार्यवाही को प्रमाणित करते हैं। और वास्तविक पत्रकार नियोक्ता के हस्ताक्षर और सहमति प्राप्त करने के अभाव में अधिमान्य नहीं हो पाता।
इन हालातों के लिए पूजी पतियों के साथ साथ हमारे पत्रकार साथी भी जिम्मेदार है जो दूसरों के लिए 24 घंटे फील्ड में रहकर लड़ाई लड़ रहा है और न्याय की आवाज उठाता है किंतु स्वयं अपने शोषण पर मौन रहकर इन्हीं पूंजीपति मालिकों की जी हजूरी करता है।
पत्रकार कल्याण परिषद माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह करता है कि फील्ड में काम करने वाले वास्तविक पत्रकारों की सूची जिले में स्थापित जनसंपर्क कार्यालय से प्राप्त हो सकेगी उस आधार पर कार्यरत पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जाना आवश्यक है। फील्ड में रहकर जी जान एक करके पत्रकारिता को उसका स्वरूप देने वाले और आमजन तक खबरें पहुंचाने वाले पत्रकारों को जब तक फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में मध्य प्रदेश सरकार मान्यता नहीं देगी तब तक अधिमान्य पत्रकारों को दी गई यह मान्यता अधूरी है।
हमें विश्वास है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी जिले में कार्यरत वास्तविक पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करेंगे।

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