कोराना से कम नहीं , युवाओं के भविष्य का संकट।
कोरोनावायरस संकट के बाद जहां देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर है तो वहीं युवाओं के सामने भी बड़ा संकट है इस महामारी के साइड इफेक्ट में। सबसे ज्यादा युवा वर्ग मुश्किल में है बीते 1 साल में ज्यादातर जगह पर रोजगार का संकट है तो दूसरी तरफ पढ़ाई से जुड़े छात्र छात्राएं परेशान हो रहे हैं इस बात से कहीं ना कहीं लगातार पढ़ाई प्रभावित हो रही है इसी वजह से प्रतिस्पर्धा का माहौल खत्म हो रहा है कहीं 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने की कोशिश में थे कहीं प्रतियोगी परीक्षा देने की लेकिन अब समस्या यह कि पढ़ाई करें भी तो क्यों करें क्योंकि बहुत सारी जगह पर जनरल प्रमोशन मिल रहा है तो प्रतियोगी परीक्षा टाली जा रही हैं ऐसे में युवा वर्ग के सामने बहुत बड़ा संकट है इस बात से पैदा हो रहा है बुरे और अच्छे की पहचान बेहतर और कामतर की पहचान आखिर बिना परीक्षाओं की कैसे होगी बिना ठीक पढ़ाई के युवा प्रतियोगी परीक्षा दे भी तो कैसे हिंदुस्तान के युवाओं का क्या होगा? क्योंकि 2 साल की पढ़ाई तो लगभग चौपट कर चुके हैं और ज्यादातर कोर्स 4 साल के होते हैं ऐसे में जिन बच्चों ने पढ़ाई ही नहीं की तो फिर वह आगे किस प्रकार काम करेंगे इन्हीं मुश्किल हालातों के चलते युवा वर्ग परेशान है एक तरफ पढ़ाई से जुड़े युवा मुश्किल में हैं दूसरी तरफ रोजगार को लेकर हाल बेहाल हैं कोरोना की पहली लहर एवं दूसरी लहर ने बेरोजगारी को चरम पर पहुंचाया है लगातार लॉकडाउन के चलते काम धंधे टप्प पर हैं और बंपर सरकारी नौकरियां तो निकलना लगभग बंद ही माननीऐ ऐसे में युवाओं के सामने निजी और सरकारी क्षेत्र में नौकरी का संकट है व्यापार का भरोसा नहीं है ऐसे में पढ़ाई से लेकर रोजगार तक देश का युवा अपने अंधकारमय भविष्य की ओर देखने को मजबूर है जिस देश के युवा के सामने अंधकार हो उस देश की मुश्किलों को समझना होगा सरकारे जैसे ही इस महामारी पर काबू करने की स्थिति में आएं जल्द से जल्द युवाओं पर ध्यान दें उन्हें मानसिक और आर्थिक संभल देकर मजबूती देनी ही होगी
दयाराम यादव छात्र नेता