
लॉकडाउन के दौर में अपनी अपनी बर्बादी की दास्तान सुनाते किसान भाई
अजय प्रजापति रहली :– सोलह साल पहले गन्ने का रकबा सिर्फ 370 हेक्टेयर था और उस समय शक्कर के भाव बीस रुपये तक लेकिन अब रकबा काफी बढ़ गया और शक्कर के भाव दुने हो गए जब शक्कर ही इतनी बढ़ गई तो गुड़ की कीमत तो होंनी ही थी लेकिन इस भीषण कोरोना महामारी के चलते लगाय गये लॉकडाउन के इस दौर में गन्ने की फसलें किसानों के खेतों में खड़ी अपनी अपनी बर्बादी की दास्तान सुनाती नजर आ रही हैं परेशान किसानों ने पत्रकारों को बुलाकर न केबल अपना दुखड़ा रोया बल्कि ग्राम भृमण कर उन्हे ग्राम की मौजूदा गन्ने की फसल की समस्या से परिचय कराया।
शुगर फेक्ट्री का तो अता पता भी नही और ऊपर से एक और आफत लॉकडाउन
सभी किसान भाइयों ने एक सुर में कहा कि क्षेत्रीय बिधायक गोपाल भार्गव की प्रेरणा से क्षेत्र के सभी किसानों ने उत्पादन बढ़ा लिया लेकिन शुगर फेक्ट्री का तो अता पता भी नही और ऊपर से एक और आफत लॉकडाउन के दौर में किसान भाई अपनी अपनी गन्ने की फसलों को जला रहे हैं और अब गन्ने की मिठास से तौबा कर चुके हैं। रहली ब्लाक की ग्राम पंचायत सगौनी बुंदेला के किसान रामदास पटैल तो इतने खफा है कि भविष्य में गन्ने की खेती न करने की कसम ले ली है खेत भले ही खाली पड़े रहे पर गन्ना न बोयगे इनकी सात एकड़ में गन्ने की फसल खड़ी है इसका कोई खरीददार नही मिला जैसे तैसे एक ख़रीददार मिल गया उसकी भी मजबूरी हो गई कि इस लोक डाउन में कहा ले जाता इसलिये कटवा नही पाया।गुस्से में रामदास ने कहा कि इस सात एकड़ गन्ने की फसल का क्या करे कुछ समझ मे नही आ रहा है गन्ने की लागत ही नही निकल सकी और न ही शासन प्रशासन के द्वारा कोई मदद की गई इसलिये अब मजबूर हो कर इस गन्ने की फसल में आग लगानी होगी तभी तो दूसरी फसल के लिये खेत खाली होंगे । इसी पंचायत के किसान ब्रजबिहारी पटैल,बालकिशन पटैल, लाखन पटैल, साहब लाल पटैल, शिवचरण पटैल,तुलसीरम पटैल, धनसिंह पटैल, एवं जमना प्रसाद पटैल आदि बहुत से किसान भाइयों ने बताया कि भार्गव जी कहते थे कि गन्ने की फसलें लगाओ शक्कर फेक्ट्री खुल रही है लेकिन शक्कर फेक्ट्री का तो अता पता ही नही है। सभी किसान भाइयों ने गुस्से में कहा कि हम सभी को सरकार के लुभावने वायदों में आकर ठग तो गये ही है और रई खुई इस लोक डाउन ने पूरी कर दी जिसकी बजह से न तो कोई ख़रीददार मिला और न ही यहा कोई चरखी (मील)है। अब तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से ही आशा की उम्मीद जागी है कि इस भीषण महामारी लोक डाउन में मजबूर बेठे सगौनी बुंदेला के किसान भाइयों की मदद जरूर ही करेंगे।
फसलो में लगा दी आग,गुड़ बनाने की स्कीम फेल
गन्ने की खेती में लागत मूल्य निकलना भी मुश्किल हो चुका है। कृषि विभाग के अफसरों और मैदानी अमले ने भी किसानों को गन्ने की खेती करने के लिये प्रेरित किया नतीजा यह निकला कि हर ब्लाक में गन्ने की खेती होनी लगी और हर ब्लाक के किसानों को पिछले वर्ष तक खूब लाभ भी मिलता रहा लेकिन इस वर्ष लोक डाउन में गन्ने की फसल का कोई लाभ तो नही मिला ऊपर से नुकसान बहुत हो गया नुकसानी कितनी हो गई यह तो स्थानीय पंचायत प्रशासन से लेकर क्षेत्रीय विधायक ,कृषि मंत्री ,मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री बखूबी अच्छे से जानते हैं। इस दिशा और दशा में क्या इन किसान भाइयों की सहायता राशि के रूप में मदद हो पायेगी या नही यह तो समय की गर्त में है फिलहाल तो किसान भाइयों के हो चुके इस भारी नुकसानी में भूखे मरने की नोबत हो चुकी है।
