भाजपा नेताओं ने ऐसा क्या कर डाला,जिसका देना होगा जवाब ? जाने

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किसानों की लड़ाई लड़ना पड़ गया भारी, भाजपा ने चलाया अनुशासन का डंडा…..

पार्टी में मची खलबली, चुनाव में पड़ेगा असर
रतलाम। शिरीष सकलेचा
जिले की आलोट पुलिस पर किसानों के साथ लूटपाट व ज्यादती करने की शिकायतें आने के बाद आलोट के कुछ भाजपा नेताओं ने पुलिस के खिलाफ आवाज मुखर की व भाजपा नेताओं ने लगभग 5 घंटे पुलिस थाने के सामने धरना देकर पुलिस के खिलाफ तीखे तेवर मंगलवार को अपनाए थे। भाजपा नेताओं के किसानों की लड़ाई लड़ने का यह मामला अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है । भोपाल तक खलबली मच गयी है। यहां इस मामले को भाजपा सरकार के खिलाफ बताया जा रहा है जबकि जिन भाजपा नेताओं ने किसानों की लड़ाई लड़ी उनका कहना है कि हमने तो पुलिस के खिलाफ किसानों की आवाज उठाई ना की सरकार के खिलाफ। विपक्ष इस मामले को तुल देखकर हमें बदनाम करने का प्रयास कर रहा है वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष ने भी अपनी ही पार्टी के इन नेताओं को अनुशासनहीनता का मामला बताते हुए इन्हें कारण बताओ नोटिस दिए हैं। जिन नेताओ को नोटिस मिले है उनमें राकेश दायमा है जो आलोट से टिकिट के दावेदार है । मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह , पूर्व अध्यक्ष दिनेश कोठारी आदि भी इसमे शामिल है।भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा अपनी ही पार्टी के नेताओं को इस तरह कारण बताओ नोटिस दिए जाने की जानकारी जब क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं व लोगों को पता चली तो मानो भूकंप आ गया। क्षेत्र में इस बात की चर्चा है की सुशासन का दावा करने वाली पार्टी के कार्यकर्ता यदि किसानों की आवाज उठा रहे हैं तो इसमें गुनाह क्या है? बताया जाता है कि पीड़ित किसानों ने खुद शपथ पत्र देखकर व मीडिया के सामने खुल्लम खुल्ला पुलिस की शिकायत की है । उधर चर्चा है कि बुधवार शाम को आलोट में विजय संकल्प अभियान की बैठक है , जिसमे यह मुद्दा जोरशोर से उठेगा। नोटिस मिलने वाले नेता अपनी भड़ास भी निकाल सकते है।
इतनी देर क्यो लगा दी…?
भाजपा कार्यकर्ता जब आलोट में पुलिस के खिलाफ अपनी आवाज मुखर कर रहे थे तो इस बात की जानकारी जिला से लेकर सांसद तक पहुंच चुकी थी बताया जाता है कि कुछ भाजपा नेताओं ने इस मामले को लेकर सांसद आदि से भी चर्चा की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस पर शीघ्र कार्रवाई हो लेकिन उस समय कुछ नहीं हुआ जिसे इन नेताओं की नाराजगी काफी लंबे समय तक चलती रही। यदि भाजपा के जिम्मेदार नेता उसी समय कार्यकर्ताओं को अपना धरना या विरोध समाप्त करने की बात कर देते तो शायद यह मामला इतना सुर्खियों में नहीं आता ।चर्चा तो इस बात की भी है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने अपने जनप्रतिनिधियों को पुलिस की शिकायत की तो उन्होंने यह कहां डाला की क्या बार-बार टीआई बदलते रहेंगे? आलोट की इस घटना से कांग्रेस को घर बैठे मुद्दा हाथ लग गया है वही भाजपा में अब अंदर ही अंदर नूरा कुश्ती का खेल चल रहा है। गुटबाजी के दलदल में फंसी आलोट विधानसभा इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर उलझती नजर आ रही है बताया जाता है कि गुटबाजी के चलते भाजपा के इन नेताओं को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। इस घटनाक्रम से विधानसभा चुनाव पर काफी असर पड़ सकता है बताया जाता है कि या 1 गुट वर्तमान मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह आंजना को हटाने में लगा हुआ है ।आलोट के स्थानीय नेताओं की आपसी लड़ाई पार्टी के लिए आगामी चुनाव में काफी घातक होगी, इसमें कोई दो मत नहीं है पार्टी की गुटबाजी के चलते बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय हुई थी और यदि इसी तरह गुटबाजी का खेल चलता रहा तो कहीं ऐसा ना हो फिर भाजपा के हाथ से बाजी निकल जाए?
ये क्या कहते है—-
” भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा हमें कारण बताओ नोटिस दिया गया है। जिसका जवाब हम पार्टी फोरम पर देंगे। हमने अनुशासनहीनता जैसी कोई काम नहीं किया है।”
अनिल भरावा, वरिष्ठ भाजपा नेता,आलोट
” हम जनता के प्रतिनिधि हैं ।राजनीति के क्षेत्र में कार्य करते हैं इसलिए यदि किसी के साथ अन्याय, अत्याचार होता है तो उसके खिलाफ आवाज उठाना एवं उनको उनका हक दिलाना हमारा कर्तव्य है और इसी को लेकर हमने आलोट पुलिस के खिलाफ अपनी बात रखी थी ।पार्टी यदि इसे अनुशासनहीनता मानती है तो हम इसका जवाब देंगे। जहां तक मेरा सोचना है हमने अनुशासनहीनता का काम नहीं किया है ।हमने तो सिर्फ किसानों की लड़ाई लड़ी है और हमारी यह लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं थी बल्कि पुलिस की व्यवस्था के खिलाफ थी जिसके सबूत खुद किसानों ने दिए हैं।”
राकेश दायमा,राष्ट्रीय मंत्री ,पीएम जन कल्याणकारी योजना अभियान ,आलोट

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