सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स मध्य प्रदेश (सोपास) संगठन करने जा रहा है प्राइवेट स्कूलों के हितों में प्रदेश स्तरीय आंदोलन।
मुकेश मिश्रा छतरपुर – शासन की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध एकजुट होने लगे प्राइवेट स्कूल संचालक ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक की प्राइवेट स्कूलों की बैठकों का दौर चालू कहीं फिजिकल मीटिंग तो कहीं वर्चुअल मीटिंग निरंतर जारी ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के बहुत बड़े आंदोलन की तैयारी उसी क्रम में आज नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव ब्लॉक में स्कूल संचालकों की मीटिंग हुई तो वही सोपास संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ आशीष चटर्जी सर ने प्रदेश स्तरीय वर्चुअल मीटिंग की जिसमें संपूर्ण मध्य प्रदेश से संगठन के पदाधिकारी जुड़े और प्रदेश स्तरीय बड़े आंदोलन की तैयारी की रूपरेखा तैयार की शीघ्र ही आंदोलन की रणनीति तैयार होकर घोषणा होने वाली है यह आंदोलन प्रदेश का ऐतिहासिक आंदोलन होगा जिसमें प्रत्येक जिले से कम से कम 1000 स्कूल संचालक एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारी अभिभावक भाग लेंगे तो संपूर्ण मध्य प्रदेश से राजधानी भोपाल में लाखों लोगों का जमावड़ा होगा जो सरकार को प्राइवेट स्कूलों के प्रति दमनकारी नीति एवं अफसरशाही की तानाशाही से अवगत कराएगा शिक्षा विभाग के प्रदेश स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक के अधिकारियों की कुटिल नीति और भ्रष्टाचारी कार्यप्रणाली से सरकार को आगाह करेंगे प्राइवेट स्कूल संचालकों ने पूर्व में अनेकों बार अपने स्तर से अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन पत्र के माध्यम से अपनी बात रखी लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई और ना कोई ध्यान दिया जा रहा है जबकि सरकार कोरोना काल में सभी वर्गों को ध्यान में रखकर कुछ ना कुछ सहयोग कर रही है लेकिन प्राइवेट स्कूलों को शासन की हर योजना से वंचित किया गया है एवं विभागीय अधिकारी तरह-तरह के नित नए नियम लागू करवाते हैं जो इस संकट की घड़ी में पूर्ण करना संभव नहीं है शासन की दो मुंही नीति से स्कूल संचालकों में आक्रोश की ज्वाला धड़क रही है जो आंदोलन के रूप में भटकेगी जिसकी लो दिल्ली तक पहुंचेगी प्रदेश सरकार द्वारा आरटीई की राशि का समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा और जो भुगतान किया जा रहा है वह अन्य राज्यों की अपेक्षा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है
मान्यता नियमों में नित नए परिवर्तन होते हैं लोक शिक्षण संचनालय एवं माध्यमिक शिक्षा मंडल दोनों हाथों से प्राइवेट स्कूल संचालकों को लूट रहे हैं
एक विभाग मान्यता देता है तो दूसरा विभाग संबंधिता देता है और बिना पैसों के दोनों विभाग कुछ नहीं देते
*शासन ने आंशिक रूप से 9 से 12 की कक्षाएं खोलकर अपनी विभागीय फीस वसूल कर ली माध्यमिक शिक्षा मंडल ने करोड़ों रुपए वसूल लिए ना एससी एसटी को छूट दी न संबल योजना वालों को छूट दे ना कोई गरीबों को छूट ना मान्यता प्राप्त स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बच्चों को छूट
ऐसे अनेकों कारण है जिनके कारण प्राइवेट स्कूल संचालकों को आंदोलन करने हेतु विवश होना पड़ रहा है