मकर में बना मंगल, गुरु और शनि का योग, कुछ दिन बाद देश-दुनिया में धीरे-धीरे सब ठीक होने लगेगा

रविवार. 29 मार्च को गुरु का राशि परिवर्तन होने से मकर राशि में मंगल, गुरु और शनि का योग बन रहा है। गुरु के राशि परिवर्तन की तारीख के संबंध में पंचांग भेद भी हैं। गुरु ने धनु राशि से मकर में प्रवेश किया है। इस राशि में ये ग्रह नीच का रहता है। मकर राशि में पहले से ही उच्च राशि का मंगल और स्वराशि का शनि स्थित है। इन तीनों ग्रहों का योग देश-दुनिया के लिए राहत दिलाने वाला रहेगा। आर्थिक संकट और महामारी का प्रभाव होगा कम इस समय पूरी दुनिया आर्थिक संकट और कोरोनावायरस महामारी ले जूझ रही है। रोगियों की और मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अधिकतर देशों में लॉकडाउन है। भारत में भी सरकार ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है। मंगल, गुरु और शनि की युति की वजह से वैश्विक महामारी का प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन इसके लिए जनता को धैर्य रखना होगा। सरकार द्वारा बताए गए नियमों का पालन करने पर इस महामारी से बचाव हो सकता है। 4 मई को मंगल कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसके बाद हालात में बदलाव दिखने लगेंगे। 14 मई को गुरु वक्री हो जाएगा। इसके बाद जनता को और ज्यादा राहत मिल सकती है। तब तक इन बड़े संकटों से निपटने के लिए जनता को अपने स्तर पर सावधानी रखनी होगी। कैसी रहेगी गुरु की स्थिति मकर राशि में गुरु नीच का रहता है यानी इस राशि में ये ग्रह प्रसन्न नहीं रहता है। 14 मई से इसी राशि में गुरु वक्री हो जाएगा। 29 जून से वक्री रहकर ही धनु राशि में प्रवेश करेगा। धनु में वक्री रहेगा। 13 सितंबर से धनु राशि में मार्गी होगा और 20 नवंबर को मकर में प्रवेश करके फिर से नीच का हो जाएगा। जानिए सभी 12 राशियों पर इन 3 ग्रहों का कैसा असर होने वाला है.

मेष- ये तीनों ग्रह दशम रहेंगे। राशि स्वामी मंगल उच्च का रहेगा। अत: कार्य की अधिकता करने वाला होगा। विवादों में विजय दिलाने वाला होगा। पद प्राप्ति होगी।

वृषभ- तीनों ग्रह नवम रहेंगे। अत्यंत सचेत रहें। विचारों में द्वंद रहेगा। आय अच्छी रहेगी, पर संतुष्टि नही हो पाएंगी। मूल्यवान सामान गुम हो सकता है। धन का लेन-देन नगदी में करने से बचें।

मिथुन- राशि से अष्टम स्थान पर यह युति बनेगी। अत्यंत सावधानी से रहने का समय होगा। स्वयं पर नियंत्रण रखें और जोखिम के कार्यों से दूरी बनाएंगे तो बेहतर रहेगा। शत्रु हावी होने का प्रयास करेंगे और उनके मौके भी प्राप्त होंगे।

कर्क- राशि के ठीक सामने सप्तम स्थान पर यह युति होगी। इस युति से लाभ-हानि बराबर रहेगी। किसी प्रकार के बड़े नुकसान की संभावना नहीं है। कुछ योजनाएं बिगड़ सकती हैं एवं कुछ नई सफल भी होंगी।

सिंह- राशि से षष्ठम भाव में यह युति होगी। यह विरोधियों का शमन करने वाली भी होगी और बढ़ाने वाली भी होगी। विचलित भी रखेगी। क्रोध को बढ़ा सकती है। संयम से लाभ होगा।
कन्या- पंचम स्थान पर यह युति होगी। नौकरी में बदलाव के साथ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा। जमीन से लाभ एवं संतान से सुख प्राप्त होगा।

तुला- चतुर्थ भाव में यह युति होगी। संभलकर रहने का समय है। योजनाएं बिगड़ सकती हैं। विरोधी नुकसान पंहुचाने का प्रयास करेंगे। कीमती सामान की सुरक्षा करें एवं वाहनादि का प्रयोग में सावधानी रखें।

वृश्चिक- तृतीय स्थान पर यह युति होगी। भाइयों से प्रेम बढ़ेगा और सहयोग मिलेगा। विरोधी भी परास्त होंगे। व्यापार में आगे बढऩे के मौके प्राप्त होंगे एवं पराक्रम श्रेष्ठ रहेगा।

धनु- द्वितीय स्थान पर यह युति होगी। स्थाई संपत्ति के लिए यह अत्यंत लाभकारी होगी, साथ ही समस्याओं का स्थाई समाधान प्राप्त होगा। नई जगहों पर जाने का मौका प्राप्त होगा।

मकर- यह अत्यंत सफलता दिलाने वाला होगा। शनि के कारण सम्मान एवं धन की प्राप्ति होगी एवं मंगल के कारण शत्रु परास्त करने में सफलता मिलेगी। गुरु नीच का होने के कारण कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।

कुंभ- द्वादश स्थान पर यह युति होगी और व्यय की अधिकता को बढ़ाने वाली होगी। कार्य स्थल पर मन नहीं रहेगा। विचलन ज्यादा होगी। समस्याएं एक के बाद एक आती जाएंगी।

मीन– एकादश स्थान पर इन तीन ग्रहों की युति होगी। पदोन्नती, समस्याओं का निदान और विरोधी परास्त होंगे। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। धन लाभ में वृद्धि और संपत्ति में वृद्धिकारक होगा।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Don`t copy text!