पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण में भाजपा में खुशी का माहौल।

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भूमिका भास्कर संवाददाता

अमन सिद्दीकी

डिंडोरी

 

डिण्डोरी:- मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के साथ होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार के पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई करते हुए राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट को मान्य किया है। फैसले के मुताबिक आरक्षण किसी भी सूरत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। अब नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में ओबीसी के लिए जनसंख्या के हिसाब से अधिकतम 35 प्रतिशत सीट 50 प्रतिशत के आरक्षण की सीमा में रहते हुए आरक्षित की जा सकेंगी। आरक्षण की प्रक्रिया को एक सप्ताह के भीतर करने के आदेश राज्य सरकार को दिए गए हैं। वहीं, चुनाव 2022 के परिसीमन से कराने की मांग को भी मान लिया गया है।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सीएम शिवराज ने कहा- सत्य की जीत हुई राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश के अनुरूप ओबीसी को आरक्षण देने के लिए नगरीय निकायों का आरक्षण नए सिरे से करना होगा। अभी 25 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से आरक्षण किया गया था। वहीं, त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, जनपद और जिला) का आरक्षण होना है। इसमें नई व्यवस्था के तहत प्रक्रिया की जाएगी।

 

*ऐतिहासिक निर्णय है, ओबीसी के साथ न्याय हुआ- नरेन्द्र सिंह राजपूत*

 

भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार को बड़ी जीत मिली है। ओबीसी आरक्षण पर आज सत्य की जीत हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अपनी बात को माननीय न्यायालय के समक्ष तथ्यों के साथ रखा। हमारे पक्ष को स्वीकार करने के लिए माननीय न्यायालय, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा एवं प्रदेश नेतृत्व का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हैं।

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