अब मीडिया / पत्रकारिता धंधा बन रहा हैं। धंधेबाज स्वतंत्र नहीं हो सकते।

( लेखक भूमिका भास्कर समाचार पत्र के संपादक है। एवं देश की कई प्रसिद्ध सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं)

आशीष कुमार जैन सागर – एक दिन मैं यूं ही घर के बरामदे में टहल रहा था तब मेरी दादी मेरे पास आई और मेरी दादी ने मुझसे पूछा कि तुम पत्रकार बनोगे तो खाओगे क्या। वे भी जानती थी पत्रकारिता नोकरी नहीं हैं समाज सेवा और देशभक्ति है। लेकिन अब वर्तमान में पत्रकारिता / मीडिया एक धंधा वन गया है। मीडिया समाज के बाजार में लगी एक दुकान है। और जो दुकान लगाकर बैठा हो,वह स्वतंत्र नहीं हो सकता। वह मुनाफा खोजता हैं संघर्ष नहीं। यह बात समझने की है कि अगर मीडिया घरानों के मालिक कारोबारी होंगे ,समाजसेवक नहीं तो वे खबरों में भी अपना मुनाफा खोजेंगे समाज हित नहीं । लिहाजा ग्लोबलाइजेशन के युग में प्रेस का स्वतंत्र होना कठिन है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

आशीष जैन
संपादक
भूमिका भास्कर समाचार पत्र सागर मध्यप्रदेश

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