भागवत कथा में दूसरे दिन हुआ परिक्षित और सुखदेव जी का जन्म।
मुकेश कुमार मिश्रा
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छतरपुर//-छतरपुर जिले के रामपुर ढिला में रामपुर देबी मां के स्थान पर रामपुर निवासी करन यादव के सोजन्य से संगीतमय भागवत कथा का आयोजन किया गया है यह कथा आचार्या पं श्री बृजभूषण अखिलेश तिवारी जी के मुखारविंद से चल रही है जिसमें सभी रामपुर ढिलापुर ग्राम बासी उपस्थित होकर कथा को कर रहे पान
दूसरे दिन की कथा में नर नारी झूम उठे पंडित अखिलेश तिवारी जी ने बताया कि
शुकदेव के जन्म के बारे में यह कहा जाता है कि ये महर्षि वेद व्यास के अयोनिज पुत्र थे और यह बात शिव, पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। पार्वती जी को कथा सुनते-सुनते नींद आ गयी और उनकी जगह पर वहां बैठे एक शुक ने हुंकारी भरना प्रारम्भ कर दिया। जब भगवान शिव को यह बात ज्ञात हुई, तब उन्होंने शुक को मारने के लिये दौड़े और उसके पीछे अपना त्रिशूल छोड़ा। शुक जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागता रहा, भागते-भागते वह व्यास जी के आश्रम में आया और सूक्ष्मरूप बनाकर उनकी पत्नी के मुख में घुस गया। वह उनके गर्भ में रह गया। ऐसा कहा जाता है कि ये बारह वर्ष तक गर्भ के बाहर ही नहीं निकले। जब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर इन्हें आश्वासन दिया कि बाहर निकलने पर तुम्हारे ऊपर माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा, तभी ये गर्भ से बाहर निकले और व्यासजी के पुत्र कहलाये। गर्भ में ही इन्हें वेद, उपनिषद, दर्शन और पुराण आदि का सम्यक ज्ञान हो गया था।
जन्म लेते ही ये बाल्य अवस्था में ही तप हेतु वन की ओर भागे, ऐसी उनकी संसार से विरक्त भावनाएं थी। परंतु वात्सल्य भाव से रोते हुए श्री व्यास जी भी उनके पीछे भागे। मार्ग में एक जलाशय में कुछ कन्याएं स्नान कर रही थीं, उन्होंने जब शुकदेव जी महाराज को देखा तो अपनी अवस्था का ध्यान न रख कर शुकदेव जी का आशीर्वाद लिया। लेकिन जब शुकदेव के पीछे मोह में पड़े श्री व्यास वहां पहुंचे तो सारी कन्याएं छुप गयीं। ऐसी सांसारिक विरक्ति से शुकदेव जी महाराज ने तप प्रारम्भ किया।
जिस जगह शुकदेव जी महाराज ब्रह्मलीन हुए थे वर्तमान समय में वह जगह हरियाणा में कैथल के गाॅंव सजूमा में है।
कलाकारों के माध्यम से साउंड सर्विस सरफराज साउंड संचालित यूनिश खान की गई प्रशंसा