छिंदवाड़ा जिले के सौसर जामसावली में है चमत्कारी दिव्य हनुमान मंदिर।

0
IMG_20200718_122647

बुध्दनाथ चौहान की रिपोर्ट

छिंदवाड़ा जिले की सौसर विधानसभा क्षेत्र जाम नदी एवं सर्पा नदी के संगम स्थल ग्राम सांवली के पीपल वृक्ष की छांव में “स्वयं श्री. हनुमान जी विराजमान हैं , जो छिंदवाड़ा से 70 कि. मी. और नागपुर से उत्तर दिशा में 66 कि.मी. पर स्थित हैं जहां पर सड़क मार्ग से सुगमता से पंहुचा जा सकता हैं
चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर ,जाम सांवली श्रृदधा और आस्था का केन्द्र हैं , जहां सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं । “स्वयं श्री. हनुमान जी लेटे हुए हैं श्री. हनुमान जी की मूर्ति कब और किसने स्थापित की हैं इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नही हैं ।
मान्यता के अनुसार स्वयं प्रभु श्री. हनुमान जी स्वयं प्रकट हुए थे । राजस्व अभिलेख में 100 वर्ष पूर्व मंदिर के इतिहास में पीपल के वृक्ष के निचे श्री महावीर हनुमान का उल्लेख मिलता हैं । बुजुर्ग ग्रामीण जनों की आस्था अनुसार स्वयंभू श्री. हनुमान जी की मूर्ति पूर्व में सीधी अवस्था में खड़ी हुई थी , कुछ लोगों के द्वारा मूर्ति के नीचे गुप्त धन छिपा होने के संदेह के कारण मूर्ति को हटाने की कोशिश की तब श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्वतः लेट गई और 20-20 घोड़ो और बैलों से खींचने पर भी मूर्ति को हिला नहीं सके जाम सांवली स्थित पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम हेतू रुकने की भी जन कथाएं प्रचलन हैं , एक अन्य कथा भी प्रचलित है कि , महाभारत काल में इसी स्थान पर श्री. हनुमानजी ने भीम का गर्वहरण किया था
चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर चमत्कारों के कारण श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र हैं , जहां आने वाले श्रद्धालुओं और भक्तोंजनों की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं , और असाध्य रोग कैंसर ,लकवा,मानसिक रोगी , प्रेत बाधा से ग्रसित रोगी चमत्कारिक श्री हनुमान जी की कृपा से कुछ ही समय में ठीक हो जाते हैं, ऐसी लोगों की मान्यता एवं आस्था है

चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर चमत्कारों के कारण श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र हैं , जहां आने वाले श्रद्धालुओं और भक्तों जनों की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं , और असाध्य रोग कैंसर ,लकवा,मानसिक रोगी , प्रेत बाधा से ग्रसित रोगी चमत्कारिक श्री हनुमान जी की कृपा से कुछ ही समय में ठीक हो जाते हैं ऐसी लोगों की आस्था हैं । और तरह -तरह की चर्चाएं जन सामान्य में अनुभव की आधार पर प्रचलन में हैं । विशेष रूप से मंदिर में होने वाली आरती का विशेष महत्त्व हैं , आरती मेँ उत्पन्न होने वाली ध्वनि की कारण श्रद्धालुओं को सुख अनुभूति एवं शांति प्राप्त होती हैं । श्री हनुमान जी की पूजन अर्चना शनिवार और मंगलवार का विशेष महत्व हैं और आरती के पश्चात श्री. हनुमान जी के स्पर्श से निकलने वाली प्राकृतिक जल (चरणामृत) का विशेष महत्त्व है

Loading

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Don`t copy text!